तुम अपनों को कब तक ग़ैरों में गिनोगे
वक़्त आने दो पैरों में पड़ोगे
मेरे नाम पर कब तक धुल फेकोगे
मौका आने दो तुम फूल फेंकोगे
आज़ है ये, कल का पता नहीं
कल मेरा नाम इज्ज़त से बोलोगे
दुश्मनी बेरहमी, खौफ़ बोती हैं
खौफ़ से कबतक ख़ुद को भरोगे
दहशत-दरिंदगी-साजिश होसला नहीं देती
ए ख़ुदा के बन्दे कब ख़ुदा से डरोगे
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