Saturday 2 April 2016

चलो तुम साथ तुम्हें वो सागर दिखाऊंगा

चलो तुम साथ तुम्हें वो सागर दिखाऊंगा
नशा-ए इश्क की ताकत तुम्हें मैं फिर दिखाऊंगा
इक बार झूठे से ज़रा नजरें तो मिलाओ
तुम्हें शबनम से मलमल के दुल्हन मैं बनाऊंगा

किसी कान्हे की तुम राधा, या राम की सीता हो
हो कोई रामायण, या प्रेम-गीता हो
ये शब्द मेरे राग फीके अमृत भी हो कड़वा
जो साथ तेरा हो, तो फिर गीत-कविता हो
जो साथ तेरा हो, तो फिर गीत-कविता हो

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