Friday 27 June 2014

रविवार


सातों दिन का राजा जो
बच्चों में भी प्यारा वो
आने वाला है रविवार
मज़े करें पूरा परिवार

आँख खुली सूरज का ज़ाला
नौ बजे अब चाय का प्याला
फिर बच्चों की हो फरमाइश
चलो पार्क है झूले की ख्वाइश

अलसाया अलसाया है तन
बिस्तर-टीवी से चिपका मन
कह दे नव्या मम्मी से जाकर
चाय-पकोड़े ला दे दें आकर

है छुट्टी सो इतराती आज़
ला सब्जी, ला आलू प्याज़
दिन भर बस बीबी का रौब
इससे अच्छा बॉस का खौफ़!

पर अच्छी लगती है ये सज़ा
इस दिन का है अपना ही मज़ा
कल दफ्तर है सोमवार
मन इंतज़ार कब रविवार.. मन इंतज़ार फिर रविवार