Thursday 22 May 2014

आया जीवन फिर से घर में जीने को संसार

आया जीवन फिर से घर में जीने को संसार,
माँ की ममता को पाने और पाने आकार

नन्हा मोती पाया जिसने ‘मोनी’ उसकी मैया
और ‘नव्या’ भी खेल रही, प्यारा उसका भैया

जीवन का है रंग यही, सुख-दुःख दोनों तीर
तुझमे ही मौला को देखूँ, तुझमें देखूँ पीर

Friday 2 May 2014

प्रजातंत्र का पर्व

प्रजातंत्र का दौर है, प्रजातंत्र का पर्व
नेता आगे चल रहे, पीछे देश का गर्व

नोट-वोट का खेल कर, खेलें टेडी चाल
डाकू नेता बन गए, जनता भई कंगाल

अडवाणी-रथ रूठ गौ, मुरली अपनी तान
लहर बनावे आपनी, मोदी मारे बाण

माँ-बेटे की जीत पर, बहन भी आई संग
हाथ भी तरसे साथ को, दिग्गी रासरंग

वाम रो गए ममता से, हुआ तीसरा फेल
PM बनने की रेस में, खूब चला ये खेल

माया का बहुरूप है, मुलायम हो रहे सख्त
लालू आया जेल से, ललचाएं देखि तख़्त

नाक में दम है कर रही टोपी केजरीवाल
झाड़ू सब पर चल रही, सादेपन का जाल

संविधान को कौन संभाले, रही न अब वो बात
जीत रहे खरगोश अब और कछुए खाते मात

वोटरलिस्ट में अटक गई अब तेरी पहचान
जात-पात और धर्म में, बाँट दियो इंसान... जात-पात और धर्म में, बाँट दियो इंसान