Monday 28 April 2014

चुनाव

देखो-देखो कौन है ये, टोपी सर पर डाले
'हाथ', 'कमल' कोई और ले गया 'झाड़ू' तेरे पाले

कौन यहाँ नेता है मेरा, देखें चलकर रैली
सारे चक-चक चमक रहें हैं, किसकी चादर मैली ?

महँगी बिजली-पानी और महँगी है रोटी-तरकारी
बेरोज़गारी-लाचारी में, पिसती  ये जनता बेचारी

बेचैन हो रही भारत माता सुनकर इनके वादे
सस्ती भाषा बोल रहे सब, PM बनने के दावे

गर आँखों पर हाथ रखोगे फिर तो दुनिया अंधियारी है
सजग बनें और वोट करें, अब नव-युग की तैयारी है....अब नव-युग की तैयारी है

Sunday 6 April 2014

मैंने देखा है एक दीपक, जो कभी प्रकाशमान था

मैंने देखा है एक दीपक, जो कभी प्रकाशमान था
किंतू आज एक तश्वीर के सामने विराजमान है
कभी उस दीपक की छठा याद की व्याथा दिखाती है
तो कभी अपने बुझ जाने पर गरुड़ कथा सुनाती है

माता-पिता, भाई-बहन, पत्नी, बच्चे सभी तो हैं
दिनों-दिन बीत जाने पर भी, लगता है अभी तो हैं
हाँ, सच्ची धागे कच्चे ही होते हैं
धागे में उलझन, सुलझन, गाँठ तीनो ही होती हैं
पर खींचाव किसी रुकाव को बोती हैं

हे ईश्वर तेरे धागे की कशमकश से
इंसान घबराता है, यम मुस्कुराता है
मानो वो हँसाता कम और बस रुलाता है
मानो वो हँसाता कम और बस रुलाता है