Friday 22 November 2013

तुम्हारी याद आती है और मैं गुनगुनाता हूँ

तुम्हारी याद आती है और मैं गुनगुनाता हूँ
मुस्कुरा के शायद तुम्हें भुलाता हूँ
तुम मेरे पास हो यही सोच ना रोता हूँ, ना रुलाता हूँ
बस ये तस्वीर जानती है कैसे खुद को सुलाता हूँ

कुछ दर्द होते हैं जिनकी चुभन भी मीठी लगती है
साँस लेता हूँ की ये हवा आज भी महकती है
ऐ चाँद बंद कर अपनी चाँदनी
हमें तो अँधेरे में भी रौशनी लगती है

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