मैं तो शब्दों की पंक्ति हूँ
पर तुम मेरी गीतमाला
चंद्र बदन और चांदनी
चन्दन की पाती हो तुम
तह भुजंग-सी लिपटी सी
केसों की माला हो तुम
मैं हूँ बादल नीले अम्बर का
आकार ना मेरा निश्चित है
सौ–सौ फूलों की खेती मैं
पर उसकी खुशबू हो तुम
मैं नदियों का संगम हूँ
पर उनकी कल-कल हो तुम
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